Best 100+ Muharram Shayari in Hindi 2025

Muharram Shayari

Muharram Shayari in Hindi: मुहर्रम साल का ऐसा पाक महीना है, जो शहीदए हुसैन की कुर्बानी और उनके त्याग की याद दिलाता है। यह माह इंसानियत के प्रति प्रेम, बलिदान और साहस का प्रतीक है, जिसमें लाखों मुस्लिम समुदाय के लोग अपने धार्मिक स्नेह और आस्था को व्यक्त करने के लिए विभिन्न शायरी और कविताओं का माध्यम अपनाते हैं।

मुहर्रम की शायरी न केवल शोक और श्रद्धांजलि का बोध कराती है बल्कि यह अपने अंदर एक नई ऊर्जा, प्रेरणा और जीवन में सदाचार का संकल्प भी प्रदान करती है। ऐसे में, व्यक्तिगत भावना को अभिव्यक्त करने वाली, दिल को छू लेने वाली एवं सूक्ष्म अर्थों से भरपूर मुहर्रम शायरी की यह श्रृंखला आपके आध्यात्मिक उद्देश्य को और भी मजबूत करेगी।

Muharram Shayari

Muharram Shayari
Muharram Shayari
मुहर्रम पर याद करो वो कुर्बानी
जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी
ना डिगा वो हौसलों से अपने
काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी !!
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला
सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन
शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला !!
सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गई
सब्र से उम्मत को ज़‍िंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्लाम को ज़‍िंदगी मिल गई !!
वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया
घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम !!
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई
नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई !!

Dard Muharram Shayari in Hindi

Dard Muharram Shayari in Hindi
Dard Muharram Shayari in Hindi
कर्बला की जमीं पर खून बहा
कत्लेआम का मंजर सजा
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला !!
हुसैन की शहादत का है या महीना
मोहर्रम में हर आंख में आंसू रोता है
मां फातिमा का चला गया लाल
कर्बला की जमीन में जो सोता है !!
एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का !!
आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे
ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे !!
अलविदा कहे इस दर्द को
हर दिल में रहे शहादत हुसैन की
मोहर्रम की शायरी में बसी है
इमाम हुसैन की यादें दर्द की !!

Muharram Shayari in Hindi

Muharram Shayari in Hindi
Muharram Shayari in Hindi
कर्बला की रेत पर लहू से लिखी गई दास्तान
हर कतरा चिल्ला उठा ये है हक़ की पहचान
ना पानी, ना साया, ना ज़िंदगी की राहत
फिर भी हुसैन ने छोड़ी नहीं सच्चाई की राहत !!
न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले ही जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगंबर !!
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने
लहू जो बह गया कर्बला में उनके
मकसद को समझो तो कोई बात बने !!
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली
महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का !!

कर्बला की कहानी में कत्लेआम था
लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था
खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी
इसलिए उसका नाम पैगाम बना !!

Imam Hussain Muharram Shayari

Imam Hussain Muharram Shayari
Imam Hussain Muharram Shayari
 अपनी तकदीर जगाते हैं तेरे मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपनी इजहारे-ए-अकीदत का सिलसिला ये है
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से !!
कर्बला की जमीन पर या लिखा था
इमाम हुसैन ने एक नया इतिहास लिखा था
इमाम हुसैन की गूंज उठी थी आवाज
जो जुल्म के खिलाफ एक संदेश लिखा था !!
क्या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पर कर्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैलाकर मांग लो मुमीनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का !!
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है
यूँ तो लाखों सिर झुके सजदे में
लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया
जिस पर खुदा को नाज है !!
खून से लिखा हुआ था वह हुसैन का नाम
हर दिल में बसे थे सुबह और शाम
सच्चाई के मिसल अमन की राह
जहां हर सुकून का था इंतजाम !!

Imam Hussain Shayari

Imam Hussain Shayari
Imam Hussain Muharram Shayari
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने !!
कर्बला कोई जंग नहीं, सब्र का इम्तिहान था
जहाँ हर जख्म में भी मोहब्बत का अरमान था !!
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर !!
जिसने हक के लिए सिर कटाया
उस हुसैन को सलाम हमारा
कर्बला की जमीं पे जो लहू बहा, हुसैन का
उसकी हर बूंद ने, जमाने को रास्ता दिखाया !!
आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे
ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी
एक छोटा सा जरा दिखायी दे !!

Imam Hussain Shayari 2 Line

Imam Hussain Shayari 2 Line
Muharram Shayari
ना पूछ वक़्त की इन बेजुबान किताबों से
सुनो जब अज़ान तो समझो के हुसैन जिंदा है !!
कर्बला की जमीन पर लहू का इतिहास लिखा गया
सच की राह पर चले और हुसैन का अमर इतिहास लिखा गया !!
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा था
लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी !!
रात आई है असुर की हर दिल में रोशनी जलाई
इमाम हुसैन की याद में हर आंख में आज आंसू बहाई !!
ख़ुदा की जिस पर रहमत हो वो हुसैन हैं
जो इंसाफ और सत्य के लिए लड़ जाए वो हुसैन हैं !!

Muharram Ki Shayari

Muharram Ki Shayari
Muharram Shayari
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया
जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया
हर जर्रे को नज़फ का नगीना बना दिया
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया !!
इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम में हर दिल रोता है
उसकी कुर्बानी का संदेश हर आंखों को भिगोता होता है
इमाम हुसैन की वह यादें हमेशा द प्रेरित करती है
काश आज भी इमाम हुसैन होते या हर दिल कहता है !!
मुहर्रम का ये महीना, है सब्र की मिसाल
जहाँ हर दिल में है दर्द, और हर आंख में हाल
इमाम हुसैन की शहादत ने दी हमें राह
सिखाई इंसाफ़ और दिया न्याय का पैगाम !!
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है
हम नया साल मनाते है तेरे मातम से !!
एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन
ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का !!

Karbala Muharram Shayari

Karbala Muharram Shayari
Karbala Muharram Shayari
जन्नत की आरज़ू में कहां जा रहे हैं लोग
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरात में जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो मरना हुसैन से !!
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है 
अर्थ वाला तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है !!
हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्श वाला
तू धीरे गुजर यहां मेरा हुसैन सो रहा है !!
कर्बला के मैदान में हुसैन ने दिया बलिदान
सच्चाई और इंसाफ के लिए, उन्होंने दिया अपना नाम
मुहर्रम का मतलब है सच्चाई और इंसानियत के लिए लड़ना
कर्बला के शहीदों की कुर्बानी को सलाम !!
प्यास थी शदीद, मगर शिकवा नहीं किया
हर दर्द को सब्र से जिया और जिया
हुसैन ने दिखाया जो वफ़ा का रास्ता
वो हर मोमिन के दिल में बस गया !!

10 Muharram Shayari

10 Muharram Shayari
10 Muharram Shayari
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है
हम नया साल मनाते है तेरे मातम से !!
गंगा और जमुना के संगम पर था
इमाम हुसैन की शहादत का निशान
हर आंखों में थे आंसू हर दिल में थे
दर्द कर्बला की जमीन में अमर हो
गए और कई जवान !!
ये मातम, ये आँसू, ये ग़म की सदा
सब कहते हैं — हुसैन ज़िन्दा है हमेशा
हर मोहर्रम में दिल से आवाज़ उठती है
जो हक़ पे मरे, वो कभी मरता नहीं !!
ना तलवार से, ना फौज से डर लगे
जब बात हो हक़ की, तो हुसैन याद आए
कुर्बानी की जो मिसाल बन गए
उनके नाम से दिल रो पड़ जाए !!
ख़ून से लिखी थी जो वफ़ा की कहानी
वो आज भी रोती है हर एक ज़ुबानी
ग़म-ए-हुसैन को लफ्ज़ों में उतारें
मुहर्रम शायरी से दिलों को पुकारें !!

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