Nafrat Shayari – नफ़रत शायरी हिंदी में
Nafrat Shayari is that explores the theme of hatred, animosity, and resentment. It is a form of poetic expression that delves into the darker emotions and feelings that arise from negative experiences and relationships.
एक पल तो घायल दिल कहता है की नफरत कर,
दूसरे ही पल कमजोर दिल कहता है, की प्यार कर..
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नफरत करनी हर किसी को नहीं आती,
ये तो बस प्यार में जख्मी लोगों का काम है..
जो हमारी नफरत के भी लायक नहीं थे,
हम उन्ही से बेशुमार प्यार कर बैठे !!
नफरत की आग जो तुमने,
इस दिल में लगाई है,
तुमसे ही नही मोहब्बत,
से भी हमें शिकायत हुई है !
दिलों में अगर पली बेजान कोई हसरत न होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत न होती !!
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के !
फिर यूँ हुआ के गैर को दिल से लगा लिया,
अंदर वो नफरतें थी के बाहर के हो गये।
Nafrat Wali Shayari In Hindi
Despite its themes of negativity, Nafrat Shayari can be a cathartic form of expression for individuals who are struggling with feelings of hatred and resentment. It can provide an outlet for these emotions and help individuals process their feelings in a creative and meaningful way.
कुछ जुदा सा है मेरे महबूब का अंदाज,
नजर भी मुझ पर है और नफरत भी मुझसे ही।
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने,
सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते
ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा,
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता
गुजरे हैं, तेरे इश्क में कुछ इस मुकाम से,
नफरत सी हो गई है मोहब्बत के नाम से.
वो मोहब्बत ही क्या
जिसमे प्यार ना हो
वो नफरत ही क्या
जिसमे तकरार ना हो !
पहली नजर में जिसको
हमसे मोहब्बत हो गई
अब यह आलम है हमे
उनसे नफरत हो गई
मैं काबिले नफरत हूँ, तो छोड़ दे मुझको।
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत न किया कर।
इश्क़ करे या नफरत इजाज़त है उन्हें।
हमे इश्क़ से अपने कोई शिकायत नही।
Shayari Status
ना जाने क्यु कोसते है लोग बदसुरती को,
बरबाद करने वाले तो हसीन चहेरे होते है।
उन्हें नफरत हुयी सारे जहाँ से,
अब नयी दुनिया लाये कहाँ से।
हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो,
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे।
कुछ दगाबाज़ी हम भी तेरे ऐतबार से करेंगे।
तुझसे नफ़रत भी जालिम ज़रा प्यार से_करेंगे।।
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती